Monday, April 19, 2010

2 pages from my diary

जीवन में कुछ घटनाएं ऐसी घटती हैं जो हमारे मानस पटल पर अमिट छाप छोड़ जाती हैं | भीड़ में चलते हुए भी शायद ही कभी हम उन अनजाने चेहरों पर ध्यान देते हैं जो वक़्त की धूप मैं मुरझा गए हैं | हर चेहरा अपने पीछे एक कहानी छुपाये हुए है लेकिन सुनने की फुर्सत किसको है | "Success story" best seller novel बन जाती है लेकिन किसी गरीब की विवश कहानी तो हैंडपंप का पानी है, कोई पीना ही नहीं चाहता लेकिन सौ करोड़ के देश में आम आदमी के हिस्से में और क्या आएगा ! ऐसे में अगर सूखा पड़ जाए फिर तो गरीब की आँखों से आंसू तक सूख जाते हैं |
वर्ष 2008 कुछ ऐसा ही समय था | Kgp में मैंने काफी ख़राब placement scene देखा जो हम 3rd years को खतरे की घंटी प्रतीत हुआ | Recession पर discussion भी काफी आम हो गये | जब मैं दिसम्बर की छुट्टी के बाद घर लौट रहा था तब ट्रेन में एक परिवार के साथ सीट मिली | पति-पत्नी और २ बच्चे, छोटा बच्चा शायद एक बरस से भी कम उम्र का रहा होगा | परिवार का मुखिया मुझ से सिर्फ 3-4 बरस ही बड़ा होगा लेकिन धूप में झुलसा हुआ उसका चेहरा और उसमें धंसी हुई उसकी आँखें उसकी उम्र कुछ ज्यादा ही बता रही थी | बात करने पर पता चला कि वो kharagpur के पास किसी गाँव का रहने वाला है और काम कि तलाश में गुजरात गया था | बड़ोद्रा का diamond cutting business तो विश्व विख्यात है, पिछले 8 वर्षों से वही उसकी आजीविका का स्त्रोत था | इस दौरान उसने काफी अच्छा समय देखा, कभी कभी तो इतना काम था कि दिन के २४ घंटे भी कम पड़ जाते थे | लेकिन अभी समय बदल गया है | अचानक एक दिन लोगों ने recession कहना शुरू किया और हमारा काम कम होने लगा | पुराने order cancel हो गये, नया आना तो दूर की बात | मालिक लोगों को भी हवा का रुख समझ आ गया | कभी एक दिन की भी छुट्टी न देने वाले मालिक ने हमको महीने की छुट्टी दे दी, अब तो 4 महीने हो चुके हैं | कुछ हो न हो गरीब के पास उम्मीद जरुर होती है, एक बेहतर कल की | बिना काम के शहर में रुक गये और जो थोडा पैसा था, वो भी गया | अब तो उम्मीद भी नहीं बची है | इसलिए गाँव जा कर वहीँ काम करूँगा | जब बिज़नस फिर से ठीक हो जायेगा तब कोई बुलावा भेज देगा |
उस आदमी को सफ़र के बाद तो मैंने अलविदा कह दिया लेकिन मैं उस को कभी भूल नहीं पाया | ऐसी अनगिनत कहानियां हमारे शहर की सड़कों पर घूम रही हैं जो अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए संघर्षरत हैं | हम तो हमेशा recession को poor placement से ही पारिभाषित करते हैं, उस आदमी ने मुझे recession का वो चेहरा दिखा दिया जो मेरी कल्पना से परे था |

Wednesday, April 7, 2010

CCD and Hum

मुन्ना बोला बापू मुझ से कभी कभी यूँ कहते हैं,
देख ले बेटा सीख ले तू इस देश में कैसे रहते हैं |

सादा जीवन उच्च विचार, सब बातें हैं बातों का क्या,
Daddy जब तेरे कमा रहे, ATM है पैसों का क्या |

एक - एक रूपये की बचत करें, रिक्शेवाले से लड़ते हैं ,
bargain सफल हो जाये तो तृप्ति का अनुभव करते हैं |

"जागो ग्राहक जागो " का tempo तब भला कहाँ जाता है,
२ रुपए की कॉफी का, जब पचास रुपए हम देते हैं |

जब पैसा दिया है तो उपभोग भी करेंगे,
दो घंटे तक A.C.-Sofa का उपयोग हम करेंगे |

Gtalk का status message , भी अब CCD पर ही होता है,
ज्यादा का नहीं लालच हमको, कॉफी में गुजारा होता है |

है देश बढ़ रहा आगे पल पल, तू किस इंतज़ार में बैठा है,
एक और कॉफी का आर्डर कर, जब जेब में काफी पैसा है |

भारत माँ के लाल दो देखो , एक भूखा तो दूजा सक्षम है,
रुखी रोटी और CCD का संगम, देखो बड़ा विहंगम है |